लखनऊ की तवायफ --“आदाब बजा लाता हूं बेगम साहिबा!” --“हूं……..साथ कौन जायेगा इस बार?” अमीना बेगम ने गहरी नजरों से मुआयना करते हुये पूछा। --“जी साबिर और मुख़्तार, ख़ालाजाद भाई हैं मेरे। माशाल्लाह दोनों जवान और हट्टे-कट्टे हैं।“ --“पहलवानी नहीं करनी है वहां, अकल से काम लेना है। मैं न होती तो पिछली बार हवालात में दम टूटता तुम्हांरा।“ --“जी, बजा फ़रमाती हैं, आपकी मेहरबानी, पर अब ख़ता न होगी। मैं एहतियात रखूंगा।“ --“बेहतर।“ कहकर अमीना बेगम ने एक थैली सरफराज की ओर उछाल दी, --“पेशगी है, बाकी काम के बाद मिल जायेंगे, तख़्लिया।“ सरफराज ने थैली लपक कर अमीना