यूँ ही राह चलते चलते - 13

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यूँ ही राह चलते चलते -13- यशील सप्रयास वान्या से दूर रहने का प्रयास कर रहा था और इस परिवर्तन को अर्चिता अनुभव कर रही थी । अवश्य संकेत के आने से यशील वान्या से विमुख हो गया है उसने अंदाज लगाया। उसका मन किया कि वह संकेत के चारों ओर धन्यवाद का ढेर लगा दे। उसने ईश्वर को धन्यवाद दिया, आज उसे विश्वास हो गया था कि सच्चा प्यार सफल होता ही है । वह उसी आनन्द में पूरी तरह डूब उतरा रही थी । संकेत ने वान्या से पूछा ‘‘तुम्हें कौन सी ज्यूलरी पसंद आयी ?’’ ‘‘ क्यों