तुमने कभी प्यार किया था? भाग-10उसकी मुस्कान को मैं कभी भूल नहीं पाती हूँ।वह कभी आसमान की तरह गहरी होती जहाँ असंख्य नक्षत्र झिलमिलाते दूरी का आभास देते हैं।या उस झील की तरह जिसका पानी हवा से हिलता और मेरे भावों की नावें और मछलियां उसमें तैरती रहती हैं।उसकी लिखी पंक्तियों को में बार-बार पढ़ती हूँ। तूने मेरे कदमों कोएक अर्थ दिया था,आँखों को कहने काअद्भुत संयोग दिया था।मन बैठ गया था जब तेरे आँगन में,इक आदर का भाव वहीं लेने आया था।तेरी यादों का पताबार-बार पढ़ता हूँ,किये गये वादों सेरूठ नहीं पाता ह