काश तुमने कह दिया होता कभी- कभी कुछ यादें ऐसी होती हैं जो इंसानियत और रिश्तों से विश्वाश तार-तार कर देती हैं। (पहचान छिपाने के लिए मैंने नाम व स्थान बदल दिया है। मेरे ख्याल से यह जरूरी है।)सर्दी की एक गुनगुनी दोपहर में मैंने स्कूल से लौटते हुए उनको देखा था। वह सिर झुकाए जा रही थीं। कंधे तक कटे हुए बाल, सफेद शर्ट जिसमें लगातार धुलते- धुलते पीलापन आ गया था और हरे रंग की घुटनों तक की स्कर्ट, काले जूते और सफेद मोजे। एक नजर में वह मुझे बहुत आकर्षक लगीं। मैंने उन्हें स्कूल के गेट से