सुहागिन या विधवा - 1

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"थप। थप-------दरवाजे पर पड़ने वाली दस्तको ने राधा की नींद में विघ्न डाला था।कौन हो सकता है इतनी रात को? यह सोचती हुई वह दरवाजे तक आयी थी।दरवाजा खोलने से पहले उसने पूछा था,"कौन है?""राघव।"दरवाजे पर खड़े आगुन्तक ने अपना नाम बताया था।नाम सुनकर भी उसे याद नही आया कि आनेवाला कोंन है?फिर भी उसने दरवाजा खोल दिया। दरवाजे के बाहर उसे एक मानव आकृति खड़ी नज़र आई।अंधेेेरे की वजह से उसका चेहरा नज़र नही आ रहा था। इसलिय राधा ने एक बार फिर पूछा था।"कौन हो?किससे मिलना है?""मै राघव हूँ।"अपना नाम फिर दोहराते हुए वह बोला,"तुम कौन