महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – पंद्रह चाय वाला भी अखिल और अनुराधा को पहचानने लगा था। दोनों को दुकान की तरफ आते देख छोटू ने जोर से कहा ‘‘दो कट चाय कम शक्कर कड़क और एक पारले।’’ दुकान वाले ने भी तेज-तेज स्टोव्ह में हवा भरना शुरू कर दी। हमेशा की तरह आज भी दोनों बैंच पर आमने सामने बैठ गये। छोटू चाय और बिस्कुट का पैकिट रखकर गुमटी की साफ-सफाई करने में व्यस्त हो गया। अखिल ने चाय की एक लम्बी चुस्की ली फिर कहने लगा- ‘‘बाबाजी का प्रवचन सुनकर ऐसा लगता है कि आध्यात्मिक संसार की चाबी सिर्फ