एक लड़की

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लगता था मुझ सा कोई दुखी नहीं आज देखा जो अंदर उसके झाँककरतो उस सा दुखी कोई है ही नहीं...कोई मिला उसे भी उस घड़ीदुनिया थी एक तरफ और वो थी अकेलीमोड़ था कुछ अजीब तब और ज़िन्दगी बनी थी पहेली।उस समय वो निकला भीड़ सेकि उस सा हमदर्द कोई है ही नहीं...वैसे तो सिर्फ परिचय था पर आया वो भगवान बनकरअपनों से भी जब हार चुकी थीतब आया वो इंसान बन करवो अजनवी जो हाथ थाम लिया तोलगा उस सा अपना कोई है ही नहीं...उसकी ज़िन्दगी में आया वो कुछ ऐसेपतझड़ के बाद आई हो बहार जैसेसोची न थी कि मिलूँगी कभी