नई चेतना - 20

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इधर बीरपुर में लाला धनीराम का मजबूत ह्रदय भी अपने पुत्र अमर की जुदाई का गम सहते हुए कमजोर हो गया था । पल पल उन्हें अमर की कमी महसूस हो रही थी । ऊपर से सख्त दिखने वाले लाला धनीराम का ह्रदय अन्दर ही अन्दर कचोट रहा था । तनहाई में अपने आँसुओं को बहने की इजाजत देकर लालाजी ने ह्रदय का बोझ कुछ कम करने का रस्ता अख्तियार कर लिया था ।सुशीलादेवी का तो और भी बुरा हाल था । उनकी इकलौती संतान इस कदर उनसे मुँह मोड़ लेगी उन्होंने सपने में भी इसकी कल्पना नहीं की थी