नीरू ये समझती थी कि हमारा निर्मल से दूर रहना ही उचित है लेकिन राजा अपनी हरकतो से बाज नही आ रहा था ।उसका रोज नीरू को गाली देना तो ठीक था लेकिन अब वो हाथ उठाने लग गया था ।उसपे ना जाने कौन सा भुत सवार हो गया था।एक बार जब विजय नीरू को लेने उसके घर गया तब पूरी बात जानने के बाद उसने राजा को समझाया ।विजय ने राजा से कहा वो इस तरह की हरकते बन्द कर दे और अपने नौकरी के बारे मे सोचे जो निर्मल ने अपने दफ्तर में लगाने के लिये कहा है