कुबेर - 45

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कुबेर डॉ. हंसा दीप 45 एकवचन बहुवचन में बदल गया। ‘वह’ ‘वे’ में बदल गये। एक नाम जो बचपन से दिलो दिमाग़ में कौंधा हुआ था। वही नाम अब हर कहीं मिस्टर कुबेर के नाम से पहचाना जाने लगा। हर कहीं उसी नाम के झंडे गड़े दिखाई देने लगे। उस झंडे तले बहुत कुछ था, दृश्य भी अदृश्य भी। अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा जीवन–ज्योत और अपने गाँव जाता है। गाँव का नाम “कुबेर” रख दिया, नाम ही नहीं सब कुछ कुबेर का। कुबेर स्कूल भवन, कुबेर अस्पताल भवन, कुबेर पंचायत भवन सब पर उसी का ठप्पा था। वहाँ