एटिकेट्स

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किसी की समझ में नहीं आया कि आख़िर हुआ क्या? आवाज़ें सुन कर झांकने सब चले आए। करण गुस्से से तमतमाया हुआ खड़ा था। उसने आंगन में खड़ी सायकिल को पहले ज़ोर से लात मारी फ़िर उसे हैंडल से पकड़ कर गिरा दिया था। उसकी आंखें लाल हो रही थीं। बाल बिखरे हुए थे। सामने से बूढ़े पिता को बिना लाठी का सहारा लिए आते देखा तो वो थोड़ा सहमा। उसने किसी तरह अपने क्रोध पर काबू पाया। मां भी घबराई हुई दौड़ी अाई। मां ने पहले कांपते हाथों से लाकर उसे पानी पिलाया फ़िर उसके बैठते ही नर्म हाथों