आधा आदमी - 8

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आधा आदमी अध्‍याय-8 ज्ञानदीप आगे की लाइनें पढ़ पाता कि दरवाजें पर दस्तक हुई। लगा जैसे खाने के बीच कंकड़ आ गया हो। उसने पन्ने उठाकर एक तरफ रखा और दरवाजा खोला। सामने अली खड़ा था। ‘‘भैंया, जल्दी चलिये अम्मी को दौरा पड़ा हैं.‘‘ अली हाँफता हुआ बोला। ज्ञानदीप दरवाजा बंद करके उसके साथ चला गया। लगभग तीन घँटे बाद ज्ञानदीप वापस आया। उसका चेहरा ऐसे पीला पड़ गया जैसे किसी ने उसके ज़िस्म से खून की एक-एक बूंद निचोड़ ली हो। कई सवाल उसके ज़ेहन में चुभ रहे थे, ‘गरीबी भी इंसान के लिए एक सज़ा ही हैं। जिसे