पीरपंजाल की पहाड़ी तले

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पीरपंजाल की पहाड़ी तले : ये उन दिनों की बात है जब जम्मू काशमीर में आतंकवाद इतना भी नहीं था । ८५/८६ के समय की बात है , पति की पोस्टिंग काशमीर के पूंछ रजौरी इलाक़े में थी ,राजौरी से लगभग १०० किलोमीटर पहाड़ी रास्ते पार कर एक स्थान था सूरनकोट , वहाँ हम लोग यानी फ़ैमिली नहीं रह सकती थी ।पत्नी व बच्चें दूर किसी पीस स्टेशन पर रहते थे और जब स्कूल की छुट्टियाँ पड़तीं तो हम उनके पास दो महीने रहने जाते थे । मैं भी अपनी दोनो बेटियों के साथ अम्बाला कैंट के ‘सैपरेटड- क्वार्टर’ में