"ओह्ह गॉड कितनी तेज बारिश है।" अहाना अपने दोनों हाथो को सिर पर उठाए बारिश से बचने की कोशिश कर रही थी। "आस पास कुछ है भी नहीं जिधर हम रुक सके।" अजय इधर उधर नजर दौड़ाते हुए बोला। "प्लीज अजय कुछ करो। क्या हम ऐसे ही फंसे रहेंगे?" अहाना बच्चों की तरह ठुनकते हुए बोली। "मैं करता हूँ कुछ कोशिश। चलो अभी उस पेड़ की नीचे चलो उधर पानी थोड़ा कम आएगा।" ये कह कर अजय अहाना को एक बड़े घने पेड़ के नीचे ले गया। "तुम यही रुको, मैं कुछ देखता हूँ मदद के लिए।" अहाना- "मुझे अकेले