कर्म पथ पर - 42

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कर्म पथ पर ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌ Chapter 42जबसे जय अपना घर छोड़कर गया था इंद्र को महसूस हो रहा था कि उसके जाल में फंसी सोने की मछली देखते ही देखते उसके जाल से निकल गई है। एक ही झटके में उसके सपनों का रंगमहल भरभरा कर गिर गया। वह यह बात सहन नहीं कर पा रहा था। इंद्र बंबई की फिल्म नगरी में अपना नाम बनाना चाहता था। पहले जब उसने कोशिश की थी तो वह सफल नहीं हो सका था।