आठ महीने गुजर गये | हॉलाकि उसके जीवन मे कोई विशेष परिवर्तन न आया था ,सिवाय इसके कि इच्छा खुद को पहले से अधिक सहनशील बनाने की कोशिश कर रही थी | मन से ज्यादा शक्तिशाली, और मन से ज्यादा कमजोर, कुछ भी नही अपनी परिस्थितयों को बदलने के लिए , यह बात इच्छा को उस दिन समझ आयी जब, रोज की तरह आफिस से आने के बाद इच्छा चाय बनाने किचन मे घुसी |लाइट गई हुई थी ,इसलिए किचन मे अंधेरा था | वैसे यह कोई नई बात नही थी, लाइट सप्लाई कट का यह नियत समय था ,