किसी ने नहीं सुना - 21 - अंतिम भाग

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किसी ने नहीं सुना -प्रदीप श्रीवास्तव भाग 21 इसे पागलपन या नफरत की पराकाष्ठा भी कह सकते हैं कि उसने मेरे, अपने, बच्चों के कपड़े, रुमाल तक या तो किसी को दे दिए या बेच दिए। इसमें हमारी शादी का जोड़ा भी था। उसकी तमाम बेसकीमती साड़ियां सब कुछ शामिल था। गहने भी सब बेच दिए थे। यह सब करने के बाद जब वह मुझसे मिलने आयी तब सारा वाक़या बताया तो मैंने अपना माथा पीट लिया। ये तुम मुझे सजा दे रही हो या कर क्या रही हो? उसने बेहद रूखे स्वर में जो जवाब दिया उसके आगे जो