फितरत इंसान की

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मानव के स्वभाव को दिखाती हुई पाँच कविताएँ1.फितरत इंसान कीइन्सान की ये फितरत है अच्छी खराब भी,दिल भी है दर्द भी है दाँत भी दिमाग भी ।खुद को पहचानने की फुर्सत नहीं मगर,दुनिया समझाने की रखता है ख्वाब भी।शहर को भटकता तन्हाई ना मिटती ,रात के सन्नाटों में रखता है आग भी।पढ़ के हीं सीख ले ये चीज नहीं आदमी,ठोकर के जिम्मे नसीहतों की किताब भी।दिल की जज्बातों को रखना ना मुमकिन,लफ्जों में भर के पहुँचाता आवाज भी।अँधेरों में छुपता है आदमी ये जान कर,चाँदनी है अच्छी पर दिखते हैं दाग भी।खुद से अकड़ता है खुद से हीं लड़ता,जाने जिद