कहानी आनंद पहाडि़यों के पीछे सुबह का सूरज झांकने लगा था. हवा में कुछ ज्यादा ही ठंडक थी. यात्रा के सीजन को शुरू हुए अभी दो दिन ही हुए थे कि यात्री आने शुरू हो गए थे. यात्रा के तीन चार महीने ही होते है जब यहां रौनक रहती है. नहीं तो उत्तराखंड की ये पहाडि़या सुनसान ही रहती है ओर इन सुनसान पहाडि़यों में यमुना का पानी तेज रफ्तार से बहता रहता है .हरैक की उम्मीद होती है कि कुछ अच्छी खासी कमाई हो जायेगी लेकिन ऐसा होता नहीं .उदय वीर को यात्रियों का इंतजार करना ही पढ़ता है.