कर्म पथ पर - 41

  • 6.4k
  • 2.1k

कर्म पथ पर Chapter 41जय को घर छोड़कर गए तीन महीने हो रहे थे। श्यामलाल उसके बारे में ही सोंच रहे थे। वह अजीब सी विचित्र स्थिति में थे। कभी जय की धृष्टता पर क्रोधित होते थे। तो कभी यह सोंच कर दुखी होते थे कि अपनी बेवजह की ज़िद में वह बेकार ही कष्ट उठा रहा है।इस समय वह एक गहरी सोंच में बैठे थे। जय से उन्होंने कभी भी कोई आशा नहीं की थी। वह देखते