सच : एक रहस्य

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कहने को तो बस कहानी है पर किसे पता यह सच है या कल्पना। आज मैं कहानी लिख रही हूं जिसमें ना तो राजा है ना रानी है, ना भूत प्रेत,ना ही परियां। यह कहानी सच की है। दिन है तो रात भी है, सुबह है तो शाम भी है, सुख है तो दुख भी है और वैसे ही सच है तो झूठ भी है। सच का कोई गवाह नहीं होता।मेरी नज़र में सच दिखता नहीं बल्कि महसूस किया जाता है। इस कहानी का कोई अंत नहीं। सच तो वह है जो रहस्य बन कर रह जाता है। तो चलिए