जो घर फूंके अपना 36 डूबना कमल सरोवर में रोमांस का बारहवीं की गणित की परीक्षा का वह दिन और आज का दिन ! मुझे अच्छी तरह समझ में आ गया है कि मेरे दिमाग की बनावट भी उस बाल्टी के जैसी त्रिशंकु के आकार की है जिसमे गणित का गोला कभी पूरी तरह नहीं समाएगा, बीच में फंसेगा ज़रूर. आज भी अपने शहर की दीवारों पर मरदाना ताक़त बढानेवाली गोलियों से अधिक कोई विज्ञापन दीखते हैं तो गणित के ट्यूशन देने वाले अध्यापकों और संस्थाओं के. ”गणित वही जो शर्मा जी पढ़ाएं “ और “गणित तो मैं भटनागर सर