अच्छी लड़कियां और बुरी लड़कियां

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सुबह अलसाई हुई आई थी। लेकिन पंछियों ने उसका ऐसा स्वागत किया था कि उसमें एक नया जोश पैदा हो गया और वो घर की छत में जो दरारें थीं, बिल्कुल वहाँ रहने वाले बाशिंदे की क़िस्मत की तरह, में से झाँकने लगी थी। सूरज की सुनहरी किरणों ने उसे तो जगा दिया था, जैसा कि वो भी जानता था, लेकिन उसकी सोयी क़िस्मत को जगाने वाली किरणों का आविष्कार अब तक नहीं हुआ था। फ़िर भी उसे उम्मीद थी कि एक दिन ऐसी ही सुनहरी किरणें उसकी क़िस्मत में पड़ी दरारों में से भी झाँकेंगी जैसी कि अभी इस