एक किस्सा आप सभी के समक्ष प्रस्तुत करना चाहूँगी।तो बात कुछ ऐसी है, कि काफ़ी कठिनाइयों और एक लंबे समय के इंतज़ार के बाद मेरी बड़ी बहन ने एक अतुल्य ख़ुशी से हम सभी को अवगत करवाया।एक ऐसी ख़ुशी के मन प्रसन्न हो उठा मानो ज़िंदगी में एक नयी बहार आयीं हो, जैसे पतझड़ में सावन महका हो, एक ऐसी ख़ुशी जिससे आज तक अनजान थी मैं, एक ऐसी ख़ुशी की शायद इसे शब्द देना भी उचित नहीं।दो फूल आये हमारी बगिया में, आज तक बस यही पता था कि एक फूल गुलिस्ताँ बना देता है और अब जाना कि