17 बाली का बेटा बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे रावण की सभा त्रिजटा के जाने के बाद सीताजी रूआंसी हो उठीं और बोली ‘‘ आज मुझे कोई भी साथ नहीं दे रहा। चंद्रमा तुम्ही आग दे दो। हे अशोक वृक्ष तुम्ही