1942 की एक अलिखित कहानी।

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सन् उन्नीस सौ ब्यालिस । अगस्त का महीना । शाम के चार बजे । स्कूल की छुट्टी होने के बाद हम अपने चार - पांच साथियों के साथ पैदल घर के तरफ जा रहे थे । आकाश में काले - काले बादल छाने लगे थे। चलते - चलते रामावतार ने मुझसे कहा-"त्रिवेणी तुम्हें - मालूम है , बंगाल में अंग्रेजो के खिलाफ बड़ा भारी आंदोलन छिड़ गया है ?" मैने कहा - " नहीं , मुझे तो नही पता । " उसने आगे कहा - " अरे ! इतना बड़ा आंदोलन है कि लखनऊ छावनी से सिपाहियो को भरकर