अनुभूति को क्या प्रमाण की आवश्यकता होती है? एक रहस्यमयी दुनिया बिखरी है , हम सबके चारों ओर। विचार करने की बस जरूरत है। विचारों की अपनी ही सत्ता होती है। विचारों में आने वाले भाव मनुष्य को इस लोक में रहते हुए ही दूसरे लोक का सच्चा अनुभव करवा ही देते हैं। बात सच है कि नहीं, पता नहीं | होश में रहने वालो की दुनिया में ऐसी बातों को प्रमाणों की जरूरत पड़ ही जाती है और तथ्यों के न मिल पाने पर उन्हें नक्कारना किसी के लिए भी बहुत ही आसान हो जाता है। परन्तु तथ्यों का