नाम में क्या रखा है ! --“मैं छोड़ूंगा नहीं उस बदमाश को, जेल भिजवाऊंगा, रोको मत मुझे।“ गुप्ताजी भारी गुस्से में थे। --“छोड़िये न बाबूजी, गुस्सा न करें, फिर बीपी बढ़ जायेगा आपका।“ बेटे प्रदीप ने बाप को रोकते हुये कहा। --“ऐसा जाली काम आज तक किसी ने नहीं किया खानदान में। बात खुल जायेगी तो मैं किसे मुंह दिखाउंगा।“ --“चलिये घर के अंदर चलकर बात करते हैं, बाहर सब सुन रहे हैं, बात फैल जायेगी।“ प्रदीप किसी प्रकार गुप्ताजी को घर के अंदर ले आया। गुप्ताजी रह-रहकर हाथ झटकने लगते और गुस्से में हौल-फौल बकने लगते पर अंदर से