आज जहाँ लोग-बाग बुलेट ट्रेन पर सफर करने का सपना लिये फिरते हैं। हवाई जहाज पर सफ़र करने का ख़्वाब देखते हैं । अब तो रॉकेट-यात्रा की बात भी की जाने लगी है । वहां ये, हमारे शौकीलाल जी, दिन-रात सोते-बैठते केवल स्कूटर की सवारी की चिंता में डूबे रहते हैं.बेचारे करते भी क्या, एकमात्र आशा थी कि शादी में ससुर जी नया न सही, सेकेंड हैण्ड स्कूटर दहेज़ में देंगे लेकिन उन्होंने भी एन वक्त पर ठेंगा दिखा दिया. नकचढ़ी बेटी दे दी और चुप लगा गए. घर की माली हालत ऐसी नहीं थी कि खुद से खरीद पाते.