कर्म पथ पर - 38

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कर्म पथ पर Chapter 38गोमती नदी पर पड़ती सूरज की किरणें इस तरह का प्रभाव पैदा कर रही थीं जैसे नदी पर सुनहरा वर्क चढ़ा हो। तट पर बैठा मदन जय के बोलने की प्रतीक्षा कर रहा था। जय को संकोच में देखकर मदन ने ही बात आगे बढ़ाई।"किसी गहरी चिंता में लग रहे हो ? क्या बात है ?"जय ने दूर दूसरे किनारे पर नज़र टिकाकर कहा,"मदन मैंने अपने पापा का घर छोड़ दिया। उन्हें मंजूर नहीं था