सुबह उठकर रोज़ की तरह शर्मा जी बड़ी मुश्किल तक दरवाज़े की तरफ़ अख़बार उठाने के लिए जा ही रहे थे कि तभी घंटी बजी। सोचने लगे कौन हो सकता है। उनके घर तो कोई आता जाता नहीं। पत्नी का देहांत हुए दस साल हो गये है। बेटा विदेश में रहता है। बेटी बैंगलोर में। कोई रिश्तेदार कोई पड़ोसी कोई भी नहीं। तालाबदी के समय पर तो कोई वैसे भी नहीं आता जाता। कामवाली भी आजकल नहीं आती। धीरे धीरे चल कर दरवाज़े तक पहुँचे तो जाली के दरवाज़े से झांका। बाहर कोई लड़की मॉस्क लगाकर व हाथों में दस्ताने