महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – नो अखिल तैयार होकर शाम सात-आठ बजे बाबाजी के पास पहुँचा। वहाँ पहले से एक मोटा आदमी बैठा था जो श्यामवर्णी था। उसके पास ही लगभग इसी हुलिये वाला एक नौजवान भी था। वानखेड़े जी हमेशा की तरह हाथ में माला लिये बाबाजी के दांयी और खड़े थे। मोटा आदमी बाबाजी से आगे के कार्यक्रम के बारे में चर्चा कर रहा था। नौजवान बीच-बीच में सबकी नजर बचाकर कनखियों से माताओं की ओर देख लेता था। ‘‘शोभायात्रा का कार्यक्रम कल दोपहर एक बजे रखा है बाबाजी’’ मोटे व्यक्ति ने हाथ जोड़कर बाबाजी से कहा -