कुबेर डॉ. हंसा दीप 39 सुखमनी ताई ने डीपी के कांडो फ्लैट को अपनी आत्मीयता और स्नेह के सागर से भर दिया था। घर की हर ईंट मुस्कुराने लगी थी। हर चीज़ अपनी जगह पर होती। जीवन-ज्योत के किचन से निकल कर न्यूयॉर्क जैसे महानगर के जीवन को बगैर किसी बाध्यता के जी रही थीं वे। जीवन का यह बदलाव उनके स्वभाव को नहीं बदल पाया। एक मोटा अनुमान लगाया जाए तो अधिक से अधिक दस साल बड़ी होंगी वे डीपी से लेकिन उनके स्वभाव की गहराई उनसे मिलने वाले को पूरी तरह दिखाई देती। धीरम की किलकारियाँ गूँजतीं और