कुछ खोजती आँखे, बात करने का अलग ही अंदाज – जाने कब तुम से प्यार हो गया, खुद मुझको ही पता न चला । अहसास तो शायद तुमको भी था, पर शायद तुम्हारे लिए दोनों की उम्र में दस वर्ष का फासला ही सबसे बड़ी दीवार था । बड़े भैया के दोस्त थे तुम और मैं… बड़े भैया के लिए बेटी की तरह ही तो थी । चाह कर भी तुम्हारे दिल में न झांक पाई, जहाँ यकीनन मेरी ही तस्वीर लगी थी । पर कहीं तुम मेरे बारे में गलत न सोचो, यही सोच कर पहल करना मुमकिन ही