औरतें रोती नहीं - 5

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औरतें रोती नहीं जयंती रंगनाथन Chapter 5 शाम ढलने लगी थी। बस जरा सी देर में अंधेरा हो जाएगा, तो पांव को पांव नहीं सूझेगा। झरने के पार पहुंचने के बाद श्याम असमंजस में खड़े हो गए, अब आगे कैसे जाएंगे? बहुत दूर उन्हें रोशनी सी नजर आ रही थी। टिमटिमाता हुआ दीया। वे उसी दिशा में चल पड़े। पास गए, तो देखा आठ-दस युवक थे। हाथ में लाठी-भाला लिए। कइयों की दाढ़ी बढ़ी हुई। श्याम डर गए। कौन हो सकते हैं? डाकू-लुटेरे? इनसे जाकर कैसे पूछें कि रास्ता बताओ। श्याम को पास आता देख वे युवक खुद ही चुप