महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – सात हॉल में धूपबत्ती और गूगल की खूशबू। दो व्यवस्थापकनुमा लोग जल्दी-जल्दी तखत की चादर ठीक करने, देवी प्रतिमा के सामने दीपक जलाने, अगरबत्तियाँ जलाने जैसे काम पूरे करने में जुटे थे। धीरे-धीरे लोग हॉल में जुट रहे थे। तखत के समीप बैठे चार-पाँच भगवाधारी धीमी लय में ‘ऊँ नमः शिवाय’ का जाप कर रहे थे। लोग दोहरा रहे थे। ‘ऊँ नमः शिवाय’ की धुन तेज और तेज होती जा रही थी। करीब आधे घंटे बाद बाबाजी ने प्रवेश किया। महायोगी महामंडलेश्वर की जय के साथ कीर्तन समाप्त हो गया। बाबाजी तखत पर विराजित हो