ये डूबना साहिलों पे

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ये डूबना साहिलों पे ‘‘अम्मी...ओ अम्मी...जल्दी उठो...सुनो तो...नसीमा भाग गई’’ ‘‘हैं..कि...किसके साथ...?’’ अम्मी चद्दर फेंक के उठ बैठीं। और आंखें फाड़े, रजिया को देखने लगी। तब तक रजिया दूसरे कमरे में दौड़ गई थी- ‘‘हे...रज्जन ...हे रज्जन...उठो तो...कुछ सुना ...नसीमा भाग गई..’’ ‘‘सच्ची ...किसके साथ...?’’ वह झपट के पलंग से नीचे उतरा और पलंग के नीचे झांक-झांक के चप्पलें तलाशने लगा। तब तक वह किचन में दौड़ गई। ‘‘है जमीला...नसीमा का सुना...भाग गई बेचारी ...’’ झल्ल से घूमी जमीला। ‘‘हाय!...किसके साथ...?’’ वह अनसुनी करके उल्टे पांव भाग आई और आंगन मंे पड़े पलंग पर बैठ मोबाइल पर नंबर डायल करने