एक कहानी रोज़--40*वी केन -- कहानी* *दु* कान मालिक की प्रतिक्षा करते-करते तीनों कर्मचारी घर चले गये थे। अब बबलू और सुनिल ही उनकी प्रतिक्षा में दुकान पर रूके हुये थे। बबलू को डर था कि आज फिर मालिक पिछले माह का की तरह कोई बहाना न बना दे? दुकान मालिक कैलाशनाथ कर्मचारियों की तनख़्वाह देने के समय बहुत लेटलतीफी किया करते थे। प्लाईवुड का अच्छा-ख़ासा व्यवसाय होने के बावजूद मात्र पांच कर्मचारियों का वेतन कभी समय पर नहीं दिया गया। प्रातः नौ बजे सभी को दुकान पहूंचना अनिवार्य था। छुट्टी का समय छः बजे निर्धारित था,