विश्रान्ति (‘रहस्य एक रात का’A NIGHT OF HORROR) अरविन्द कुमार ‘साहू’ विश्रान्ति (The horror night) ( गाड़ीवान ने दुर्गा मौसी से कहा - "शायद आप उस खंडहर हवेली की बात कर रही हैं" ) -10 - “अरे दुर्गा मौसी ! मैं सारी बात समझ गया | लो अब तुम भी सुनो | वह सामने खंडहर हुए विशाल भवन और उसका मलबा देख रही हो न ?” - “हाँ – हाँ” “यही वो पुरानी हवेली थी, जो आपके ठीक सामने बाएँ हाथ के रास्ते पर, इस सड़क से सिर्फ पाँच सौ गज की दूरी पर है। हम इस समय ठीक उसी