होने से न होने तक 21. डाक्टर उदय जोशी लखनऊ आए थे तो उन्होने मीनाक्षी को सूचित किया था। वह उनसे मिलने गयी थी। जितने दिन भी वे रहे थे लगभग हर दिन ही मीनाक्षी उनसे मिलने जाती रही थी। लगभग डेढ़ साल में उसकी थीसिस पूरी हो गयी थी। उसकी फाइनल प्रति बनाने से पहले वह डाक्टर जोशी के पास दिल्ली गयी थी। वहॉ से लौट कर उसने थीसिस को फाइनल टाइप करा कर उसे जमा कर दिया था। लगभग एक साल में एन्थ्रोपालिजी डिपार्टमैंण्ट में पी.जी. खुलने की अनुमति आ गयी थी। उसके बाद पूरे बचे हुये सैशन