कई बार हमें पढ़ने के लिए कुछ ऐसा मिल जाता है कि तमाम तरह की आड़ी तिरछी चिंताओं से मुक्त हो, हमारा मन प्रफुल्लित हो कर हल्का सा महसूस करने लगता है मगर कई बार हमारे सामने पढ़ने के लिए कुछ ऐसा आ जाता है कि हमारा मन चिंतित हो, व्यथा एवं वेदनाओं से भर जाता है और लाख चाहने पर भी हम उसमें व्यक्त पीड़ा, दुख दर्द से खुद को मुक्त नहीं कर पाते। कहानी के किरदार, हम में और हम उसके किरदारों में, कुछ इस कदर घुल मिल जाते हैं कि किताब की दुनिया को ही हम एक