विश्रान्ति - 9

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विश्रान्ति (‘रहस्य एक रात का’A NIGHT OF HORROR) अरविन्द कुमार ‘साहू’ विश्रान्ति (The horror night) (दीपू तो दुर्गा मौसी की प्रतीक्षा ही कर रहा था, दरवाजा खटकते ही बाहर निकाल आया)-9 दुर्गा पहले तो बेटे को प्यार से डाँटते हुए बोली - “अरे, चुप कर बावले ! इतनी सर्दी में किसी को प्यास भी लगती है क्या ?” फिर धीरे से कहने लगी – “अच्छा ले ही आ, इस बार तो उस घर में किसी ने पानी तक को नहीं पूछा |” दीपू ने कमरे में ढिबरी जला दी थी | चारों ओर हल्के उजाले में सब कुछ नजर आने