औरतें रोती नहीं जयंती रंगनाथन Chapter 2 रंग धुआं-धुआं ऐसा नहीं कि मैं शादी से पहले स्त्री-पुरुष के रिश्ते से अनभिज्ञ थी। बहुत कुछ जानती थी। पत्रिकाओं में पढ़कर, अपनी शादीशुदा सहेली से, कॉलेज की साइंस की लेक्चरर मैडम माला बनर्जी से। बल्कि उन्होंने तो एक बार इच्छुक छात्राओं को अलग से बुलाकर सेक्स एजुकेशन पर लंबी व्याख्या दे डाली थी। बहुत खुलकर स्पष्ट शब्दों में बताया कि इंटरकोर्स क्या होता है? स्त्रियां किस तरह गर्भधारण करती हैं और बचाव के उपाय क्या हैं? यही नहीं, बहुत मधुर आवाज में माला मैम ने हम सबको समझाया था, ‘सेक्स बुरी चीज