स्वाभिमान

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कई बार हम लेखकों के आगे कुछ ऐसा घटता है या फिर कोई खबर अथवा कोई विचार हमारे मन मस्तिष्क को इस प्रकार उद्वेलित कर देता है कि हम उस पर लिखे बिना नहीं रह पाते। कई बार इसमें निरंतर विस्तार लिए विचारों की श्रंखला होती है तो अपने उन विचारों को अमली जामा पहनाने के लिए हम उपन्यास शैली का सहारा लेते हैं और कई बार जब विचार कम किंतु ठोस नतीजे के रूप में उमड़ता है तो उस पर हम कहानी रचने का प्रयास करते हैं। मगर जब कोई विचार एकदम..एक छोटे से विस्फोट की तरह झटके से