भदूकड़ा - 37

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अगली सुबह फिर जानकी की मुसीबत करने के लिये ही कुन्ती ने सुनिश्चित की थी. सबेरे जब जानकी सबको चाय दे रही थी, तो कुन्ती ने टेढ़ी निगाह कर पूछा-“ चाय कीनै बनाई? तुमनै?”“आंहां अम्मा. चाय तौ सुमित्रा चाची नै बनाई. हम तौ बस सब खों दै रय.” जानकी ने सहज उत्तर दिया.छन्न.......... चाय का कप छन्न की आवाज़ के साथ ही आंगन में अपनी चाय बिखेरे औंधा पड़ा था.“तुमै इत्ती अक्कल नइयां कै चाय बना लो? बड़ी जनैं चाय बनायं, औ तुम भकोस लो!! जेई सिखाया का तुमाई मताई नै?”कुन्ती अपने रौद्र अवतार में वापस आ रही थी.“ देखो अम्मा, ऐसी है,