कालिंदी के माथे से बहुत खून बह चुका था, शहर से बड़े डाक्टर के आने तक, कालिंदी इंतजार ना कर सकी और हंसते-खेलते परिवार को छोड़कर चली गई___ ठाकुर साहब तड़प कर रह गये,उधर गिरिधर भी टूट गया, नन्ही सी बच्ची का मुंह देखकर अपने आंसू रोक लेता और अंदर ही अंदर घुटकर रह जाता, गांव के जिस भी महिला-पुरूष को बात पता चली दौड़ा चला आया कालिंदी का मुंह आखिरी बार देखने, ठाकुर साहब को जो भी ढांढस बंधाता,वो खुद ही रोने लगता, कहता कालिंदी जैसी बेटी भगवान सबको दे,दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार,घर के काम-काज में