मालिक“ए मालिक तेरे बंदे हम.. ऐसे हो हमारे करम….। घर पर तेज़ आवाज में रेडियो पर बज रहे गाने की आवाज को सुगंधा ने कम कर किसी से पैसों की बात कर रहे अपने पति की आवाज को कान लगा कर सुनने का प्रयास किया।“देखिये लालाजी जी…! मुझे पैसों की सख्त जरूरत है। आपसे जो भी लेनदेन चलता है उससे भी एक टका ब्याज ज्यादा देने को तैयार हूं।“ समीर शायद किसी लालाजी को मनाने का प्रयास कर रहे थे। अबकी बार सुगंधा ने रेडियों की आवाज बिल्कुल बंद कर अपने कान समीर की बातों की तरफ लगाये।“ अब क्या