चाय पीने के लिए छोटे से ढाबे पर गई थी। देखा तो वहां पर एक छोटा लड़का काम कर रहा था। सब उसको छोटू-छोटू कह रहे थे। वह छोटू वास्तव में अपनी उम्र से काफी बड़ा लग रहा था। उसके चेहरे पर तो आज भी बचपन का भाव था। लेकिन हाव-भाव से किसी बड़े आदमी की तरह ही बात कर रहा था। या फिर बड़े होने का नाटक कर रहा था। सोचा होगा कहीं छोटा समझ कर लोग उसका मजाक न उड़ाएं। कुछ देर में वह छोटू मेरे सामने खड़ा था। आखों में किसी छह-सात साल के बच्चे जितनी ही