वह युवी को निगलने ही वाला था तभी युवीका हाथ अपने गले मे पहने, बाबा के लॉकेट पर पड़ा. जिस में बाबा की शिर्डी की पवित्र विभूति भरी थी. उसने वह लॉकेट गले से खीचते हुए निकाला और उस पिशाच के मुंह पर दे मारा. मानो एक आग का गोला उस पिशाच के मुंह मे डाला गया, उस पवित्र लॉकेट से वो हवा में उड़ती खोपड़ी वहां से बहुत दूर जा गिरी. युवी तेजी आगे बढ़ा मंदिरकी तरफ, बस मन्दिर की सीढियाँ दो कदम आगे शुरू होने पर ही थी, तभी अचानक किसी ने उसका एक पैर पकड़कर उसे पीछे