बन्धन--भाग(३)

(26)
  • 6.1k
  • 1
  • 3.2k

रातभर गिरिधर उधेड़बुन में लगा रहा और बहुत सोचने-समझने के बाद फैसला ले लिया।। सुबह सो कर उठ कर तैयार हुआ और पहुंच गया हवेली नाश्ता करने!! ठाकुर साहब ने जैसे ही गिरिधर को देखा, उनकी खुशी का तो जैसे ठिकाना ही नहीं रहा, दौड़ कर गिरिधर को हृदय से लगा लिया और मुंशी जी से बोले___ मुंशी जी सारे गांव में मिठाई बंटवा दी जाए,शाम को ही मंगनी होगी, जल्दी से पंडित जी बुलाकर ब्याह की तिथि पक्की करवाइए!! हां, मालिक सब हो जाएगा,आप परेशान ना हों, मुंशी जी बोले!! चलो कालिंदी बिटिया नाश्ता लगाओ, पहले नाश्ता कर लें,